हम उनका कहना तो, हर बार मान लेते हैं.
जो झूठे वादों से, हम सबकी जान लेते हैं.
कहा था जनता के, खाते में पैसे आयेंगे,
वो नोट बन्दी से, चिल्हर भी छान लेते हैं
सुना के हमको वो, अच्छे दिनों के जुमले को,
हमारे सब्र का, बस इम्तहान लेते हैं.
वो फेकते हैं, तो डर जाते हैं सारे दुश्मन,
डराने के लिए, वो खाली म्यान लेते हैं.
सवाल उनसे कोई, जब भी करता है जानी,
वो चीन, पाक को, मिनटों में सान लेते हैं.