Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

किसान कौन?

           आजकल आर्यावर्त में एक यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है कि किसान कौन है। बड़ा- बड़ा माइक उठाए, बहसोत्पादी लोग, इस सवाल का हल ढूँढने में लगे हैं कि किसान कौन है। यूं तो जिनके पास हल होता है, वही किसान प्रजाति का माना जा सकता है, लेकिन आजकल किसान के कंधों पर हल की जगह सवाल है, वो हल तो क्या ट्रैक्टर-ट्राली लेकर भी बेहाल है। वो धान-गेहूं बो कर भी हलकान परेशान है, आत्महत्या कर रहा है और उनके मसीहा चरस बोकर वोटों की लहलहाती फसल काट कर राज कर रहे हैं।

            देशद्रोहियों ने सत्तर साल से यही पढ़ाया कि हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। अब जाके पता चला कि प्रधान वधान का तो पता नहीं, प्रधान का परिधान ही देश की आन बान शान है। कांग्रेस देशवासियों को लूट रही थी तो पेट्रोल 60रुपये में, गैस 400-450रु में बेंच रही थी, अब जब ईमानदारी से 18-18घण्टे मेहनत करके सब कुछ पारदर्शिता से बिक रहा है तब कहीं जाकर पेट्रोल शतक लगाने वाला हो पाया है और जैसे तैसे करके सिलेंडर 700-800रु हो पाया है। और बेंचने में इतनी प्रतिबध्दता और लगन है कि कुछ भी बिकने से ना बच पायेगा। चाहे रेल हो या IOCL का तेल हो। NTPC हो या BPCL, एअर इंडिया हो या एअरपोर्ट, बैंक हो या bsnl, अब कहीं जाकर कांग्रेसियों और वामियों के पंजे से छुड़ाकर सेफ़ हाथों तक पहुंचा है।

            हां तो मैं कह रहा था कि हमारा देश एक कृषि प्रधान नहीं बल्कि एक समस्या प्रधान देश है। यहां पर आए दिन किसी न किसी को, किसी ना किसी से, कहीं ना कहीं, कोई न कोई समस्या होती ही रहती है। कभी सरकार को राज्यसभा में कानून पास करने में समस्या होती है तो कभी विपक्ष को सरकार को संसद में रोकने में समस्या होती है. अम्बानी अडानी को किसानों की जमीन हड़पने में समस्या आती है तो किसानों को सरकारी भलाई से समस्या है. जनता को रोज रोज के नए नए सरकारी फरमानों से समस्या है तो सरकार को देश की डिमॉक्रेसी से, आरटीआई से, जनता और विपक्ष के सवालों से, समस्या है. (हालांकि मीडिया ने सवाल पूंछना तो पहले ही छोड़ दिया है). सरकार के लिए चुनावी रैलियों में लाखों की भीड़ जुटाने की समस्या होती है तो संसद में सौ-दो सौ सांसदों के इकट्ठा होने पर कोरोना फैलने की समस्या होती है।  

            लेकिन आजकल एक और समस्या देश में छा गई है. वो समस्या ये है कि असली किसान कौन है? जब से किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली आने की कोशिश की और उनको दिल्ली की सीमाओं पर ही सरकार ने रोक दिया है, तब से देशभक्तों के सामने सबसे बड़ी समस्या असली किसान को पहचानने की आ गयी है। साल 2021 का सबसे बड़ा सवाल है कि किसान कौन? जो कड़कड़ाती ठंड में सड़कों पर दिल्ली सीमा पर डटे हुए हैं या जो बड़े बड़े पोस्टरों या टीवी स्क्रीनों पर झक्कास कपड़ों के साथ कंधे पर हल रखकर सुंदर नायिका के साथ मुस्कुराते नजर आता है, फ़ोटो सेशन के बाद तगडी पेमेंट लेकर एअर कंडीशन कमरों से ट्वीट करते हैं। बेचारे मीडिया वाले पाव किलो का माइक लेकर हलकान घूम रहे हैं ये जानने के लिए कि असली किसान कौन है? भक्त मंडली अलग परेशान है कि किसान कौन है?

            अब मनोहर कहानियों में किसानों के बारे में पढ़ने वाले मीडिया कर्मियों ने किसानों को सिर्फ फटे जूतों, फटे कपड़ों और भूखे नंगे ही सुना है, जाना है। ब्रांडेड जूते, शर्ट और बड़ी गाड़ियों में, न तो किसानों को देख सकते हैं, न ही देखना चाहते हैं। ऊपर से जो कपड़े देखकर लोगों को पहचानने में एक्सपर्ट हैं, वो जब किसान को नहीं पहचान पाएं तो समस्या तो और गंभीर हो ही जाती है। साल भर पहले जब दक्षिण भारत के किसान महीनों तक दिल्ली में धरना देते रहे, लोगों का ध्यान खींचने के लिए चूहे खाये, पेशाब पिये, क्या -क्या धत करम नहीं किये, तब किसी मीडिया वालों को कोई समस्या नहीं हुई, क्योंकि उनको इन मीडियावालों ने किसान तो क्या आदमी भी नहीं समझा था। 

            इस बार दिल्ली घेर रखे किसानों ने देशभक्त मीडियावालों को ही दुत्कार दिया है, इसलिए उनके लिए ये पता लगाना बड़ी समस्या हो गई है कि ये लोग किसान हैं या नहीं? आखिर किसानों की ये औकात कि अपना ट्राली टाइम्स चलाएं? किसान होकर कानून पढे और समझाये। किसान होकर पिज्जा खाये? भला इससे ज्यादा कलयुग और कब आएगा? आईटी सेल के लिए मुश्किल हो रहा है उनको खालिस्तानी, पाकिस्तानी सिद्ध करने में। इसलिए अब बेचारे कौन बनेगा करोड़पती खेल रहे हैं कि किसान कौन? किसान कौन?

Go Back

Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5

हमसे संपर्क करें

visitor

899637

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...